भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) एक प्रक्रिया है जिसमें सरकार या अन्य सार्वजनिक निकाय किसी विशेष उद्देश्य के लिए किसी व्यक्ति या संस्था की भूमि को कानूनी तरीके से अधिग्रहित करते हैं। इसे अक्सर विकास परियोजनाओं जैसे सड़क निर्माण, रेलमार्ग, बांध, औद्योगिक क्षेत्र, एयरपोर्ट, आदि के लिए किया जाता है। भूमि अधिग्रहण का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक हित में भूमि का उपयोग करना होता है।
### भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया:
1. **भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता की पहचान**:
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तब शुरू होती है जब सरकार या किसी सार्वजनिक संस्था को किसी विशेष परियोजना के लिए भूमि की आवश्यकता होती है। यह आवश्यकता विभिन्न प्रकार के विकास कार्यों के लिए हो सकती है।
2. **भूमि अधिग्रहण अधिनियम**:
भारत में भूमि अधिग्रहण के लिए मुख्य रूप से **भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 (Land Acquisition Act, 2013)** लागू होता है, जिसे 1894 के पुराने अधिनियम की जगह लाया गया था। यह कानून भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को स्पष्ट करता है और यह सुनिश्चित करता है कि भूमि मालिक को उचित मुआवजा दिया जाए।
3. **भूमि का सर्वेक्षण और मूल्यांकन**:
सरकार या अधिग्रहण करने वाली एजेंसी भूमि का सर्वेक्षण करती है और भूमि की कीमत का मूल्यांकन करती है। इस मूल्यांकन के आधार पर मुआवजे की राशि तय की जाती है।
4. **मुआवजा और पुनर्वास**:
अधिग्रहण की प्रक्रिया में भूमि मालिकों को उचित मुआवजा दिया जाता है। मुआवजे में भूमि की बाजार मूल्य, विकास दर, और अन्य संबंधित तत्वों को ध्यान में रखा जाता है। इसके अलावा, प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए भी योजनाएँ बनती हैं, ताकि वे अपनी जगह से विस्थापित न हों।
5. **सूचना और विरोध**:
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने से पहले, संबंधित भूमि मालिकों को सूचित किया जाता है। यदि भूमि मालिकों को इस अधिग्रहण से आपत्ति हो, तो वे इसका विरोध कर सकते हैं और अदालत में चुनौती दे सकते हैं।
6. **अधिग्रहण का आदेश**:
यदि सभी प्रक्रियाएँ पूरी हो जाती हैं और कोई कानूनी आपत्ति नहीं होती है, तो सरकार भूमि का अधिग्रहण करती है। इसके बाद भूमि मालिकों को मुआवजा प्रदान किया जाता है और भूमि का स्वामित्व सरकार या संबंधित एजेंसी को हस्तांतरित हो जाता है।
### भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के प्रमुख प्रावधान:
1. **सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (Social Impact Assessment)**:
भूमि अधिग्रहण से पहले एक सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह प्रक्रिया प्रभावित व्यक्तियों और समुदायों के लिए लाभकारी होगी।
2. **मुआवजा और पुनर्वास**:
अधिग्रहण के बाद भूमि मालिकों को सिर्फ मुआवजा ही नहीं, बल्कि पुनर्वास की भी व्यवस्था की जाती है। यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि प्रभावित परिवारों को अन्य जमीन या अन्य सुविधाएँ प्रदान की जाएं।
3. **किसानों की सुरक्षा**:
भूमि अधिग्रहण के दौरान विशेष ध्यान किसानों की रक्षा पर दिया जाता है। किसानों को भूमि के बदले अधिक मुआवजा और लाभकारी पुनर्वास योजनाएँ दी जाती हैं।
4. **गैर-आवासीय भूमि का अधिग्रहण**:
कृषि भूमि के अलावा, वाणिज्यिक, औद्योगिक, और अन्य गैर-आवासीय भूमि भी अधिग्रहित की जा सकती है, लेकिन इसके लिए विशिष्ट प्रक्रिया और नियम होते हैं।
5. **कानूनी प्रक्रिया और विवाद निवारण**:
यदि भूमि मालिक अधिग्रहण से संतुष्ट नहीं होते, तो वे इस मामले को अदालत में चुनौती दे सकते हैं। न्यायालय में मुआवजे की राशि, पुनर्वास योजनाओं, और अन्य मुद्दों पर निर्णय लिया जाता है।
### भूमि अधिग्रहण पर आलोचनाएँ:
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया कई बार विवादों और आलोचनाओं का कारण बनती है। कुछ सामान्य आलोचनाएँ इस प्रकार हैं:
- **अप्रत्याशित मुआवजा**: भूमि मालिकों को कभी-कभी ऐसा मुआवजा नहीं मिलता, जो बाजार मूल्य के बराबर हो।
- **विकसित देशों के मुकाबले कम मुआवजा**: विकासशील देशों में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया की पारदर्शिता और न्यायिकता अक्सर कम होती है।
- **भूमि मालिकों का विस्थापन**: भूमि अधिग्रहण से विस्थापित होने वाले लोगों के लिए पुनर्वास योजना ठीक से कार्यान्वित नहीं हो पाती है, जिससे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
### निष्कर्ष:
भूमि अधिग्रहण सरकारों के लिए एक आवश्यक प्रक्रिया है, जो सार्वजनिक विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होती है। हालांकि, इस प्रक्रिया में भूमि मालिकों को उचित मुआवजा और पुनर्वास की सुनिश्चितता जरूरी होती है, ताकि किसी भी प्रकार का सामाजिक और आर्थिक संकट उत्पन्न न हो।